प्रस्तावना भारत एक देश है जो अपनी विविधता और धर्मिक सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। यहां धर्मों, त्योहारों, और परंपराओं की अगर बात की जाए, तो मिथिला क्षेत्र का जिउतिया एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो विशेष रूप से महिलाओं के बीच महत्वपूर्ण है। इस ब्लॉग में, हम जिउतिया के महत्व, परंपरा, और इसके पीछे की कहानी को जानेंगे। जिउतिया का महत्व जिउतिया एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो मिथिला क्षेत्र के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह त्योहार महिलाओं के बीच विशेष रूप से मान्यता प्राप्त है और इसका मुख्य उद्देश्य होता है उनके पति की दीर्घायु और खुशी जीवन की कामना करना। इसे चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की आठवीं तिथि को मनाया जाता है और यह चार दिन तक चलता है। इसके दौरान, महिलाएं निरंतर उपवास करती हैं और अपने पति की दीर्घायु की प्रार्थना करती हैं। जिउतिया एक पारंपरिक त्योहार है जो मिथिला क्षेत्र के लोगों के लिए गर्व की बात है और इसका महत्व उनके जीवन में बहुत बड़ा है। जिउतिया की परंपरा जिउतिया की परंपरा बहुत ही महत्वपूर्ण है और इसमें महिलाएं खास भूमिका निभाती हैं। यह त्योहार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की आठवी
पूर्णिमा, भारतीय परंपरा में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हर महीने चाँद के पूरी रूप में आने के बाद मनाया जाता है। यह एक चाँद की रात के साथ साथ हमारे समाज में भिन्न आकर्षण और महत्वपूर्ण समाजिक और धार्मिक आयोजनों का भी प्रतीक है। इस ब्लॉग में, हम पूर्णिमा के महत्व को और इसके प्रकारों को विस्तार से जानेंगे और यह समझेंगे कि यह क्यों हमारे जीवन में एक अद्वितीय स्थान रखता है। पूर्णिमा का महत्व पूर्णिमा को चाँद की पूरी रात के साथ मनाने का त्योहार माना जाता है। इसे सारे भारत में खुशी खुशी मनाया जाता है और इसके महत्व को समझने के लिए हमें इसके धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक पहलुओं की ओर देखने की आवश्यकता है -------------------------------------------------------------- पूर्णिमा का धार्मिक महत्व 1. हिन्दू धर्म में पूर्णिमा हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है। इसे विभिन्न देवी-देवताओं के नामों पर आयोजित किया जाता है, जैसे कि शारदा पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा, शिवरात्रि पूर्णिमा, आदि। इन पूर्णिमा के दिनों पर भक्त देवी-देवताओं का पूजन करते हैं और व्रत रखते हैं। 2. जैन धर्म में पूर्णिमा जैन